Add To collaction

हम निकले

 हज़ारों  बातें  दिल  में दफ़्न  करके,
हम  निकले  जुबाँ  को  बंद  करके।

बहुत कुछ देखा और देखा भी नहीं!
हम वहां से निकले आँखे बंद करके।

उस  शोर  में  आवाज़  खो गई मेरी,
हम निकले उनसे किस्से चंद करके। 

वो मंज़र को देख रूह कांप गई मेरी,
हम वहां से निकले धड़कन बंद करे।

उनकी पलकों में हम ठहर गए कहीं,
हम निकले भी तो पलके बंद करके।

वहाँ रहते "निक्क" तो हम मर जाते,
हम निकले वापसी के रास्ते बंद करके।

लेखक : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
दिनाँक : 19 अक्टूबर 2023©

   9
9 Comments

Mohammed urooj khan

21-Oct-2023 11:23 AM

👌🏾👌🏾👌🏾q👌🏾

Reply

madhura

20-Oct-2023 11:39 AM

बहुत खूब भैया

Reply

बेहतरीन

Reply